Not known Details About सफेद मूसली के लाभ

Wiki Article



मूसली मूलत- एक कंदरुपी पौधा है जो कि हमारे देश के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगता है। स्वभाव से भी यह एक हार्डी पौधा है जिसकी विधिवत् खेती काफी सफल है। इसकी खेती से संबंधित किये गए सफल प्रयोगों के आधार पर इसकी खेती के लिए विकसित की गई बायोवेद कृषि तकनीक वर्तमान में काफी लाभदायक सिद्ध हुई है।

मूसली की बिजाई हेतु प्रयुक्त होने वाला बीज अथवा प्लांटिंग मटेरियल

इसके अंकुर में सैपोनिन नाम का एक प्राकृतिक रासायनिक यौगिक होता है। यह बुढ़ापे की गति धीमी करता है, कामोत्तेजक में बढ़ावा करता है। सफ़ेद मूसली की जड़ों में स्टेरायडल और ट्राइटरपेनोइड सैपोनिन-रासायनिक यौगिक होता है जो यौगिक चिकित्सीय स्थानों में प्रयोग में लाया जाता है।

Articles on StyleCraze are backed by verified data from peer-reviewed and tutorial analysis papers, reputed companies, investigate institutions, and health care associations to guarantee accuracy and relevance. Have a look at our editorial policy for additional details.

रिलेशनशिप मेरिज & सेक्स रिलेशनशिप टिप्स सेक्स एजुकेशन सेक्स बीमारी

कंदों को जमीन से उखाड़ने का उपयुक्त समय

सेवन करने से पहले चिकित्सक से इसकी खुराक निर्धारित करवा ले। क्योंकि इसकी खुराक उम्र, लिंग और रोग के अनुसार ही लेनी चाहिए।

हेल्थशॉट्स पीरियड ट्रैकर का उपयोग करके अपने मासिक धर्म के स्वास्थ्य को ट्रैक करें

बस एक क्लिक पर साइन अप कर आप वो सारी सामग्री सुरक्षित रख सकते हैं, जिन्‍हें आप बाद में पढ़ना चाहें। और एक जरूरी बात, ‘निशुल्‍क’ आहार योजना, व्‍यायाम योजना more info और मेडिटेशन के खास सेशन यहां आपके इंतजार में हैं।

सफेद मूसली खाने कि विधि के बाद जानने के बाद इसे लेते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में जानना भी जरूरी है।

अगर आप सफ़ेद मुसली का सेवन करने जा रहे है तो पहले चिकित्सक से परामर्श लें क्योंकि इसकी खुराक हर उम्र, रोग और लिंग के अनुसार अलग होती है।

हां, सफेद मूसली और शहद दोनों को एक साथ ले सकते हैं।

आयुर्वेदिक अभ्यास में सफेद मुस्ली या क्लोरोफिटम बोरेवियायनम जड़ पाउडर का उपयोग किया जाता है। यह विभिन्न आयुर्वेदिक योगों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है जिसमें मुस्ली पाक शामिल है। यह पुरुष कमजोरी, शारीरिक दुर्बलता, स्तंभन दोष, ऑलिगॉस्पर्मिया, रात का उत्सर्जन, आदि के उपचार में उपयोगी है।

मूसली शुक्र का पोषण करती है और बलकारक, वाजीकारक, वीर्य वर्धक है। मूसली में सैपोनिन और स्टिगमास्टरोल होते हैं, जिन्हें स्पर्मेटोजेनेसिस की प्रक्रिया को उत्तेजित करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसे खाने से शुक्राणु गतिशीलता की तुलना में वीर्य मात्रा और शुक्राणुओं की संख्या में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं।

Report this wiki page